धर्मपुर एक्सप्रेस। हमीरपुर
पेखुवाला सोलर पावर प्रोजेक्ट में 100 करोड़ रुपये के कथित घोटाले को लेकर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है। इस मुद्दे पर पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की मांग की है। राणा का कहना है कि पूरे देश में जो सोलर पावर प्रोजेक्ट लग रहे हैं, उनकी लागत साढे तीन से चार करोड रुपए प्रति मेगावाट आती है। जबकि इस प्रोजेक्ट में यह लागत 6 करोड़ 80 लख रुपए के आसपास पहुंच गई। इस लिहाज से देखा जाए तो 32 मेगावाट के इस प्रोजेक्ट की कीमत 120 करोड़ से अधिक नहीं आनी चाहिए थी लेकिन यहां 220 करोड रुपए आ गई जो अपने आप में एक घोटाला भी है और एक बहुत बड़ा रहस्य भी।
राजेंद्र राणा ने आरोप लगाया कि यह पैसा परियोजना से जुड़े अधिकारियों और सत्ता में बैठे बड़े नेताओं की जेबों तक पहुंचाया गया है, जिसे लेकर निष्पक्ष जांच बेहद जरूरी है।
राजेंद्र राणा ने यह भी उजागर किया कि हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने रेगुलेटरी कमीशन से बिजली की प्रति यूनिट कीमत 4 रुपए 94 पैसे तय करने की मांग की थी, जिसे खारिज करते हुए कमीशन ने ₹2.90 प्रति यूनिट मूल्य निर्धारित किया। जबकि प्रदेश में प्रति यूनिट बिजली 2. 52 पैसे खरीदी जा रही है और रेगुलेटरी कमीशन से इसकी कीमत 2 गुना से ज्यादा बढ़ाने की मांग करना यह स्पष्ट करता है कि इस प्रोजेक्ट की कीमत को न्यायोचित ठहरने की सरकार ने कोशिश की है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि पेखुवाला सोलर प्रोजेक्ट के बारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पेखुवाला सोलर प्रोजेक्ट के लिए न कोई फाइनेंस करवाया गया, न कोई लोन लिया गया—बल्कि सरकार ने ओवरड्राफ्ट की लिमिट का उपयोग कर इसे पूरा किया, जो अपने आप में गंभीर सवाल खड़े करता है।
राणा का कहना है कि सरकार को इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, अन्यथा यह रहस्य और गहराता जाएगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन पहले से ही घोटालों का अड्डा बनी हुई है क्योंकि कई बार यहां वित्तीय अनियतताओं के मामले प्रकाश में आए हैं लेकिन बिजली विभाग का मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास होने के बावजूद सरकार ने पूरी ताकत इन घोटालों को दबाने में ही लगाई है जो अपने आप में किसी बहुत बड़े रहस्य की और इशारा करती है।
Author: Dharampur Express
Himachal Pradesh