शिमला राजनीतिक संवाददाता
हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के 7 दिनों में सत्तापक्ष पहले दिन से ही विपक्ष पर भारी नजर आया।सरकार को घेरने के उद्देश्य से पहले ही दिन विपक्ष ने प्राकृतिक आपदा से हुए नुक्सान को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाया,लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से नियम-102 के तहत सरकारी संकल्प उस पर भारी पड़ा।भले ही इस मुद्दे पर विपक्ष ने विरोध स्वरुप सदन से वॉकआऊट किया,लेकिन उसे सरकारी प्रस्ताव के अंतर्गत ही चर्चा करने के लिए बाध्य होना पड़ा।इसी प्रस्ताव को सदन से पारित करके केंद्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को आपदा से निपटने के लिए 12,000 करोड़ रुपए पैकेज देने की मांग की गई।सत्तापक्ष ने उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री की अध्यक्षता में गठित समिति की तरफ से लाए गए श्वेत पत्र को सदन पटल पर रखकर विपक्ष को आईना दिखाया।सरकार ने श्वेत पत्र के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि पूर्व सरकार के गलत वित्तीय प्रबंधन के कारण आज हिमाचल प्रदेश अधिक कर्ज लेने वाले राज्यों की सूची में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है।इस कारण आज पैदा होने वाले प्रत्येक बच्चे पर 1,02,818 रुपए का कर्ज है तथा सरकार को वर्ष, 2023-24 में 9,048 करोड़ रुपए कर्ज वापस लेना होगा। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के नेतृत्व में विपक्ष ने कोरोना काल में आऊटसोर्स पर लगे कर्मचारियों एवं संशोधन विधेयकों के नाम पर घेरने का प्रयास किया तथा 5 बार सदन को छोड़ा।विपक्ष जब एक बार अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के आसन के करीब पहुंचा,तो सत्ता पक्ष की तरफ से इसके विरोध में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।सदन के भीतर व बाहर दोनों जगह माहौल गरम रहा।विधानसभा के भीतर जहां जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे से टकराते नजर आए,वहीं अपनी मांगों को लेकर कोरोना काल में आऊटसोर्स पर लगे कर्मचारियों,मिड-डे मील वर्कर,जिला परिषद कर्मचारी,विभिन्न पोस्ट कोड के तहत परीक्षा देने वाले युवा और अंतिम दिन भाजपा विधायक दल ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला।
Author: Dharampur Express
Himachal Pradesh